कैसे समझाऊँ कि क्या होता है
ज़िक्र करते ही वो तो रोता है
उसे चराग़ों का इल्म कैसे हो
हाथ आँखों पे रखके सोता है
ये नज़ारे हसीन हैं लेकिन
जाने क्यूँ मुझको वहम होता है
आँख कुल जाएगी जब ये टूटेगा
तेरे सपने में क्या-क्या होता है
लौट आयेगी हवाओं में नमी
आँसुओं को चमन में बोता है
जो भी इस दौर की दुनिया से
बात करता है, बात खोता है
चैन कभी ठिकाने नहीं मिलता
कहाँ जाने फिरता रोता है
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4 comments:
"जो बात करता है बात खोता है"
गजल का यह मिसरा सबसे अधिक पसंद आया।
bahut khub
जो बात करता है बात खोता है
yani sabko bata deta hai ... jo khata ha vo sahsi bhe hota hai janab
जो बात करता है बात खोता है
yani sabko bata deta hai ... jo khata ha vo sahsi bhe hota hai janab
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