Wednesday, September 23, 2009

दिल बहलता नहीं- एम. वर्मा


4 comments:

M VERMA said...

प्रीतीश बारहठ जी
मै काफी देर से सोच रहा हूँ इस पोस्ट का मकसद पर मेरे तो समझ मे नही आया. साभार शब्द लगाकर (रचनाकार का नही वरन ब्लोग पते का) रचना को प्रकाशित करने के पीछे आपका क्या मकसद है?

M VERMA said...

प्रीतीश बारहठ जी
मेरा कौतूहल अभी बरकरार है. आपने मेरी टिप्पणी भी नही प्रकाशित होने दी. शायद इसे भी न होने देंगे पर मेरे कौतूहल का जवाब मेरे इ मेल पर तो दे ही सकते है. आखिर इस पोस्ट की आवश्यता क्या थी और इसका मकसद क्या था. आपके ब्लोग का शीर्षक है सुनिये-समझिए पर मै कुछ समझ नही पा रहा हूँ कि आप कुछ कह क्यो नही रहे है.

प्रीतीश बारहठ said...

आदरणीय वर्मा जी,

आपकी टिप्पणी प्रकाशित कर दी गई है। मेरे ब्लॉग और पोस्ट में रुचि रखने के लिये शुक्रिया।
यह पोस्ट एक अख़बार की कटिंग है, ग़ज़ल मुझे रोचक लगी जो चिकित्सा सम्बन्धि सुझाव कविता के रूप में प्रचारित करती है। शायद इसी रोचकता (जन-रंजन के साथ शिक्षा, व जागरुकता) से प्रभावित होकर इसे अखबार ने छापा है। यह आभार भी अखबार में ही छपा है मुझे तो उस अखबार का आभार भी करना था लेकिन मुझसे चूक हो गई। मेरे ब्लॉग का शीर्षक बदलता रहता है लेकिन अभी काफी समय से प्रमाद के कारण नहीं बदला गया है। मैं खुद अपने ब्लाग में ज्यादा रुचि नहीं लेता हूँ। एक ब्लाग मुझे बहुत पसंद है kabaadkhaana.blogspot.com, यह शायद आपको भी पसंद आये। आपकी टिप्पणियां देर से देखने के कारण देर से प्रकाशित हुई हैं इसके लिये क्षमा करें।

सादर
प्रीतीश

M VERMA said...

प्रीतीश बारहठ जी
मेरा कौतूहल महज़ इसलिये था क्योकि यह गज़ल मैने लिखी है और जो ब्लोग पता दिया गया है वो मेरे ब्लोग का ही है.
कृपया यदि सम्भव हो तो अखबार का नाम बता सके तो शुक्रगुजार होऊँगा.
M Verma
http://phool-kante.blogspot.com/2009/08/blog-post_12.html