दूर बहुत जाना है तुझको, पंछी तू परवाज़ लगा
साहस भीतर छुपा हुआ है, मन ही मन आवाज़ लगा
आवाज़ों को ढूँढ़ रहा तू, बढ़ जायेगा सन्नाटा
इसी सूनी बस्ती में ऊँची मत कोई आवाज़ लगा
आशाएँ सब टूट जाएँगी बिखरेंगे विश्वास सभी
नाम किसी का लेकर मत ललकार भरी आवाज़ लगा
गीदड़ शेर हुये जाते हैं, हमें अकेला देख यहाँ
एक खेल करते हैं हम, चल आपस में आवाज़ लगा
वादे बहुत किए हैं इसने, बहुत बहाने कर लेगा
मौक़ा मत दे, परख अभी, तत्काल इसे आवाज़ लगा
सुनकर शोर चौंक जाता हूँ और भड़क जाते हैं वो
पढ़ा-लिखा है, समझदार है, धीरे-से आवाज़ लगा
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1 comment:
बहुत उम्दा गज़ल!
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