चुनाव में भाजपा द्वारा विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को वापस देश में लाने के मुद्दे एवं उस पर कांग्रेस के नेताओं की प्रतिक्रियाओं तथा मुद्दे से जुड़े-अनजुड़े बुद्धिजीवियों के लेखों से कुछ बातें स्पष्ट हुई हैं-
यह मुद्दा कुछ समय से अन्तरार्ष्ट्रीय मंच पर उठ रहा है, देश में भी नेताओं ने सरकार से इस विषय में कार्यवाही के लिये कहा है लेकिन चुनाव अभियान से पूर्व इस के विषय में देश की जनता को न तो सरकार द्वारा न ही मीडिया द्वारा कुछ भी बताया गया है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि विदेशों में भारतीय काला धन है, सरकार स्वीकार करती है।
कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि इस मुद्दे को आडवाणी द्वारा सार्वजनिक कर देने से जमाखोर सावधान हो जायेंगे और 100 दिन में ही काले धन की अन्य व्यवस्था कर देंगे। इस प्रतिक्रिया से एक साथ कई बातें स्पष्ट हुई हैं
कांग्रेस इस मुद्दे से बचना चाहती है
कांग्रेस मानती है कि इस काले धन को, यह जहाँ है वहाँ से वापस देश में लाया जाना संभव है यदि यह धन जहाँ है वहीं रहे।
यदि इस धन को मात्र 100 दिन में जमाखोर इधर-उधर कर सकते हैं तो पिछले 6 माह से कांग्रेस की सरकार ने जानकारी में होते हुए और कार्यवाही का अवसर होते हुए भी ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिससे इस धन को वापस देश में लाया जा सके। काले धन वालों पर अंकुश लगाने या काले धन की अन्यत्र व्यवस्था की संभावना को रोकने के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया है।
कांग्रेस ने भापजा की तरह इस काले धन को वापस देश में लाये जाने का न तो वादा किया है न कोई कार्य योजना बनाई है।
यह बात गले नहीं उतरती कि जमाखोर भाजपा के मुद्दे उठाने से ही सावधान होंगे, जिन के खाते विदेशों में हैं उन्हे वहाँ के कानूनों में हो रहे बदलावों की जानकारी भाजपा से मिलेगी, या वे सरकारों द्वारा की जारही कार्यवाही पर नजर नहीं रखते होंगे, सरकार में अपने स्रोत नहीं रखते होंगे। हाँ वे इस बात से भयभीत हो सकते हैं कि भाजपा के सत्ता में आने से सरकार काला धन जब्त करने की कार्यवाही कर सकती है, कांग्रेस के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं कि उससे उन्हें खतरा नहीं है।
कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उसने अपने शासन काल में इस पर कोई कार्यवाही नहीं की- विशेषज्ञों के लेख बताते हैं कि जिन देशों में काला धन हैं वहाँ की सरकारों ने अन्तराष्ट्रीय दबाव विशेषकर अमरीकी दबाव से अपने बैंकिंग कानूनों में हाल ही में बदलाव किये हैं और वे सम्बन्धित देशों को मांगने पर उनके खाताधारी नागरिकों की सूचना दे सकते हैं। अतः इस मुद्दे का आज जो महत्व है वह भाजपा के शासन के समय नहीं था। उस समय किये गये प्रयास भी शायद व्यर्थ होते।
देशवासी वर्षों से जानते हैं कि भारतीय राजनेताओं, अन्डवर्ल्ड और कालाबाजारियों का कालाधन स्वीस बैंकों में है, लेकिन वहाँ के कानूनों के अनुसार उसे जब्त किया जाना संभव नहीं था। यदि परिस्थियों में बदलाव आया है तो देश को उसका लाभ उठाना चाहिये।
यहाँ लाखों, करोंड़ों में संपत्ति की घोषणा करने वाले राजनेताओं की स्वीस बैंकों में अरबों –खरबों में सम्पत्ति है, लेकिन भाजपा द्वारा इस मुद्दे को उठाने एवं कांग्रेस द्वारा मुद्दे से बचने से स्पष्ट होता है कि भाजपा के नेता तस्वीर के साफ होने नहीं डर रहे हैं , डर रहे हैं तो कांग्रेस के नेता। इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि कम से कम भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मामले से कोई परेशानी महसूस नहीं करता है,जबकि कांग्रेस नेतृत्व पंक्ति इससे मुसीबत में आ सकती है।
अब यदि मान लिया जाये कि उक्त काले धन की अन्यत्र व्यवस्था हो सकती है तो भी गोपनीयता कानून में यदि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव आना शुरू हो चुका है, तो इस काले धन को कहीँ से भी जब्त किया जा सकता है। दूसरा यह भी कि केवल धन की ही अन्यत्र व्यवस्था संभव है पुराने रिकार्ड की नहीं, स्विस बैंको से यह तो जानकारी ली ही जा सकती है कि किस-किस भारतीय का काला धन वहाँ छह माह पूर्व तक जमा था और वह कितना था। काले धन की जो मात्रा बताई जा रही है उतने काले धन की अन्यत्र व्यवस्था करना सहज ही संभव नहीं है। बल्कि यदि इस धन को वापस लाने के प्रयास किये जाते हैं तो कलई खुलने के ड़र से काले राजनेता उक्त धन पर अपना दावा छोड़ सकते हैं जिससे इस धन को जब्त किया जाना और भी आसान हो जायेगा।
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7 comments:
aapne ek achchha vishay chuna hai ...aapki lekhni mein dum hai
देखते चलिए कि क्या कुछ हाथ लगता भी है या नहीं..वरना इतने दिनों के हल्ले में सब दायें बायें हो गया होगा.
काला धन भारत नहीं आनेवाला .. उसे भारत ही लाना होता तो फिर वहां क्यूं भेजा जाता ?
सही विश्लेषण किया है।कांग्रेस का भय साफ दिख रहा है।
sahi baat
word verification hata lein comment mein pareshani aati hai
आजादी के बाद कांग्रेस का अधिकाश राज्यों एवं केन्द्र में राज रहा। कालाधन पैदा होता है अनुचित साधनों का उपयोग कर टैक्स चोरी से बचाया गया धन। राजनेता का धन अमूमन पॉँच वर्ष में पॉँच गुने की डर से बढोतरी होती है। इसी प्रकार कालाबाजारी में संलग्न लोग बिना टैक्स चुकाए काला धन पैदा कर उसे बेनामी सम्पतियों या स्विस बैंक में जमा कर अपने को सुरक्षित करने की प्रवृति रही है। जहाँ ७७ प्रतिशत या ८३६ मिलीयन लोग २० रुपया प्रतिदिन कमाते हैं अवं ३०० मिलियन गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन कर रहे है वहां हमारी राज्य सभा के टॉप दस करोड़पतियों में से चार कोंग्रेस के श्री टी सुब्रमणि रेड्डी के पास २३९.६ करोड़, अनीस ह लाड के पास १७५ करोड़, एम् कृष्णप्पा के पास १३६ करोड़ तो एन ऐ हरिस कर्णाटक के पास १३६ करोड़ की घोषित संपदा है। हमारे मन मोहन सिंघजी ने भी सम्पति की सुचना नहीं दी। तो फ़िर स्विस बैंक से कालाधन वापस लाने की आशा करना व्यर्थ है( अवलोकन करे इंडिया टूडे १६ अप्रैल, २००९).
दावा करने वाले कालाधन वापस ला पायेंगे या नहीं, उनके दावों में सच्चाई है या नहीं, इससे अप्रभावित रहते हुए भी मुद्दे के पक्ष में होना जरूरी समझता हूँ। आखिर यह तो सच्चाई है कि भारत में कालाबाजारी कर या जनता के धन का गबन कर पैसा बाहर भेजा जा रहा है। इससे तो अच्छा है ये काले लोग अपने इस काले धन के मालिक खुद रहें कोई टैक्स भी न दें लेकिन उसका उपयोग देश में करें। इसी बहाने गरीबों को रोजगार तो मिले, उनकी कुछ तो दशा सुधरे, देश में विकास तो हो। आप काले धन को बाहर ले जाने से रोक नहीं सकते, वापस ला नहीं सकते तो फिर अपने कानून बदल लो, जनता का कुछ तो भला करो।
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