चेहरा
चतुर्भुजाकार लालट पर
विकर्ण डालती मस्तिष्क रेखायें
कहीं अर्द्धवृत्त बनाती हैं, तो कहीं
कर्क रेखाओं को समानान्तर से काट
रचती हैं एक अपरिमापेय कोण।
कुछ ऐसे परस्पर विरोधी दृश्य देखें हैं कि
नहीं रह गई है आँखों की आकृति समान
विषमकोण चतुर्भुजाकार के मध्य स्थित बिन्दु
बूंद से बूंद जोड़ बरसाता है अनन्त की संख्या
तो पहेलीनुमाकृति के मध्य का बिन्दु पथरा गया है।
नहीं रखते हैं लोग आजकल
नाक के कोण को सलामत।
अर्द्ध-चन्द्र पर दो परस्पर जुड़े
अर्द्धवृत्त टिके तो हैं
लेकिन खोलकर देखो तो जबान पर शून्य भर रखा है,
वैसे अब कहीं-कहीं दांतों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन
हड्डियाँ चबाने भर के लिये ही।
निरन्तर सुनते-सुनाते मोल-भाव (खास तौर से जमीन के)
कानों का समझने लगना फील्डबुक का गणित
और उसी आकार में ढल जाना, परिणाम है
भू-मध्य रेखा के बिना काटे - मिटाये ही छोटे हो जाने का।
यही चेहरा है जो टिका भी है तो त्रिभुज की शीर्ष नोक पर, मगर
जिजीविषा है कि इसे लुढ़कने नहीं देती!
आईने नहीं बोलते यह भाषा
चेहरे का यह आकार तो
जीवन से झूझते मनुष्य का
बाहर से नहीं
भीतर से है!!!
16.07.94
दूध के दाँत
हम नहीं पचा सकते
हमें न दो ये खून से सनी रोटियाँ
अभी हमारे दूध के दाँत हैं,
कोई खिलौना दे दो
फिर हमें भूख नहीं लगेगी।
हमें न सिखाओ दोस्तों से डरना
हमारे सभी दोस्त सच्चे हैं
वो भी अभी बच्चे हैं,
हमारे ही साथ खेलते हैं
बड़ों के साथ नहीं।
खिलौने वाले चाचा!
ये हवाई जहाज मत लाया करो
कल एक फट गया था आसमान में!
हमारे हाथ में फट गया तो.......!!!
यह छुक-छुक गाड़ी भी नहीं
वे लोग अगर इसमें कुछ लावारिस सामान छोड़ गये तो..
हमारे यहाँ पुलिस नहीं होती है!!!
कौन करेगा बम निष्क्रीय?
इसे अपनी आलमारी में क्यूँ कैद करती हो मम्मी!
ना-ना इसने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया
वैसे मेरी गुड़िया राजकुमारी तो है!!!
हाँ चाचा! इन गुब्बारों में हाइड्रोजन भर दो
हम आसमान से देखेंगे
इस धरती के लोग
कितने छोटे-छोटे हैं!
1994 (शायद दोनों एक साथ ही)
3 comments:
अच्छी रचनाएँ।
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
आईने नहीं बोलते यह भाषा
चेहरे का यह आकार तो
जीवन से झूझते मनुष्य का
बाहर से नहीं
भीतर से है!!!
अच्छा लिख रहे हैं आप ...स्वागत है .....!!
nice
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